दो घोड़ों की सवारी | Kavita Do Ghodon ki Sawari

दो घोड़ों की सवारी ( Do ghodon ki sawari )    दो अश्वों पे होकर सवार मत चलना रे प्यारे। मुंह के बल गिर जाओगे दिन में देखोगे तारे। चाहे जितनी कसो लगाम मिल ना सकेगा विराम। कोई इधर चले कोई उधर चले गिर पड़ोगे धड़ाम। दो नावों पे दो घोड़ों पे वो मंझधार में … Continue reading दो घोड़ों की सवारी | Kavita Do Ghodon ki Sawari