हे, मनुज अब तो कुछ बोल | Kavita Hey Manuj
हे, मनुज अब तो कुछ बोल ( Hey manuj ab Kuch to bol ) मसल रहे है, कुचल रहे है, पंख कलियों के जल रहे है, उजड़ रहा है यह हरा भरा, चमन अमन का डरा डरा, मदारी इशारो पे नचा रहा, यहां कागा शोर मचा रहा, कब तक नंगा नाच चलेगा, कब तक … Continue reading हे, मनुज अब तो कुछ बोल | Kavita Hey Manuj
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