हिन्दुस्तान को जगाओ | Kavita Hindustan ko Jagao
हिन्दुस्तान को जगाओ ( Hindustan ko Jagao ) हम कुम्भ की भाँति सो रहे हैं, बाहरी आकर हमें टटोल रहे हैं, हम खुशी का सपना देख रहे हैं, बाहरी कारोबार को बटोर रहे हैं, हम हिन्दू हिन्दी में खुश हो रहे हैं! बाहरी हिन्दुस्तान को लपेट रहे हैं। हम मात्र दो बच्चों में बस कर … Continue reading हिन्दुस्तान को जगाओ | Kavita Hindustan ko Jagao
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