जाड़ा आया | Kavita Jada aaya

जाड़ा आया  ( Jada aaya )   आया जाड़ा की ऋतु प्यारा बदल गया है मौसम सारा फसल पाकि गय कटि गय धान ढोंइ अनाज लइ जाय किसान पड़य शीत खूब ठरै बयार कबहूं पाला कबहुं तुषार शीत ठरै कापैं पशु पक्षी धूप लगै तब तन को अच्छी जाड़े की हैं बात निराली धूप लगे … Continue reading जाड़ा आया | Kavita Jada aaya