कर्मगति | Kavita karmagati

कर्मगति ( Karmagati )   वैतरणी पार करोगे कैसे, मन की छुदा मिटे ना। तरेगा कैसे जनम मरण जब,मन से पाप मिटे ना। इतना ज्ञानी हो होकर के भी,मोहजाल में लिपटा है, मिटेगा कैसे ताप बताओ, जब तन प्यास मिटे ना। वैतरणी पार करोगे कैसे…..   मुख से राम भजा पर मन में,तेज कटारी रखता … Continue reading कर्मगति | Kavita karmagati