काशी | Kavita Kashi

काशी ( Kashi )   वसुधा का सिंगार है काशी ज्ञान ध्यान भंडार है काशी बहती जहां गंग की धारा जिसका पावन कूल किनारा अर्धचंद्र शिव के माथे पर बहती चंद्राकार है काशी गायन वादन नृत्य विहंगम सुर लय ताल छंद का संगम मन को मुग्ध करें स्वर लहरी बना हुआ रसधार है काशी गूंज … Continue reading काशी | Kavita Kashi