ख्वाहिशें ( Khwahishen ) ख्वाहिशों को जरूरत न बनाइये अपनी बन भी जाए अगर, तो उसे कभी अपनी लत न होने दीजिये, हो भि जाए लत यदि तो उसे न बनाइये कभी मजबूरी अपनी मजबूरी भी बना देती है मजबूर इतना कि हाथ सेंकने को घर अपना हि जला देती है ऐसे हालात में भुला … Continue reading ख्वाहिशें | Kavita Khwahishen
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