कविता की झंकार | Kavita ki jhankar
कविता की झंकार ( Kavita ki jhankar ) तुकबंदी करते-करते कविता भी करनी आई अल्फाजों ने जादू फेरा मन में उमंग जगाई शब्दों की माला पिरोता महके महफिल सारी गीतों की लड़ियों से गूंजती वो केसर क्यारी भाव भंगिमा सुरताल साज बाज अल्फाज काव्य धारा में बह जाए अंतर्मन छिपे राज … Continue reading कविता की झंकार | Kavita ki jhankar
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