कुदरत का करिश्मा | Kavita Kudrat ka Karishma
कुदरत का करिश्मा ( Kudrat ka Karishma ) नीचे ऊपर के मिलन से देखो बारिस हो रहा। बदलो का पर्वतो से देखो टकराना हो रहा। जिसके कारण देखो खुलकर वर्षा हो रहा। स्वर सरगम के मिलन से देखो वर्षा हो रहा।। गीत मल्हार के सुनकर खुश हो रहे इंद्रदेव। और खुशी का इजहार कर रहे … Continue reading कुदरत का करिश्मा | Kavita Kudrat ka Karishma
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