मेघ | Kavita Megh

मेघ ( Megh ) मेघ तुम इतना भी ना इतराना जल्दी से तुम पावस ले आना बारिश की बूंद कब पड़ेंगी मुख पर, तुम मेघ अमृत को जल्दी बरसाना ।। तरस रहे सभी प्राणी ये जग जीवन करते हैं तुम्हारा मिलकर अभिनंदन आजाओ हम बाट निहारें कब से मेघ मल्हार राग भी तुमसे ही सारे … Continue reading मेघ | Kavita Megh