ओ निर्मोही ( O nirmohi ) ओ निर्मोही ओ निर्मोही चले गए क्यों, छोड मुझें परदेश। तपता मन ये तुम्हें बुलाए, लौट के आजा देश। तुम बिन जीना नही विदेशिया,पढ लेना संदेश। माटी मानुष तुम्हे बुलाए, छोड के आ परदेश। 2. चटोरी नयन चटोरी नयन हो गयी, पिया मिलन की आस में। निहारत … Continue reading ओ निर्मोही | Kavita o nirmohi
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