प्रेम पलेगा जब अंतस में | Kavita Prem Palega Jab Antas mein

प्रेम पलेगा जब अंतस में ( Prem palega jab antas mein )   प्रेम पलेगा जब अंतस में,पीड़ा बारंबार मिलेगी निज स्वार्थ अस्ताचल बिंदु, समता भाव सरित प्रवाह । त्याग समर्पण उरस्थ प्रभा, स्पृहा मिलन दर्शन अथाह । पग पग कंटक शूल चुभन, पर मुखमंडल मुस्कान खिलेगी । प्रेम पलेगा जब अंतस में, पीड़ा बारंबार … Continue reading प्रेम पलेगा जब अंतस में | Kavita Prem Palega Jab Antas mein