Kavita Raat Kaali | रात काली रही

रात काली रही ( Raat Kaali Rahi )   रात  काली  रही  दिन  उजाला  भरा, बीतीं बातों पे चिन्तन से क्या फायदा।   वक्त कैसा भी था, दुख से या सुख भरा, बीतें लम्हों पे चिन्तन से क्या फायदा।   जब उलझ जाओगे, बीतीं बातों में तुम, आज की मस्तियाँ ग़म मे ढल जाएगी।   … Continue reading Kavita Raat Kaali | रात काली रही