सफर का अकेलापन | Kavita Safar ka Akelapan
सफर का अकेलापन ( Safar ka Akelapan ) भीड़ में भी अकेला हूं अकेले में भी भीड़ बहुत है इसे कहूँ बाजार, या तन्हाई या कहूँ अकेलापन! कोई पढ़ रहा है मुझे कोई लिख रहा मुझपर कोई समझ रहा है कोई लगा है परखने में अजीब सी कश्मकश है कईयों की नज़र मे रहकर … Continue reading सफर का अकेलापन | Kavita Safar ka Akelapan
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