तारों की महफ़िल | Kavita Taaron ki Mehfil
तारों की महफ़िल ( Taaron ki Mehfil ) जब शाम होने को होती है एक एक तारा निकल आता है, ज्यों ज्यों रात की शुरुआत होती इनका झमघट हो जाता है। रात का नया पड़ाव ऐसे सजाती तारें जैसे रोज दिवाली है, दीपों जैसी सुन्दरता इठलाती बलखाती रात सुहानी है। जब लेटा किसान मजदूर … Continue reading तारों की महफ़िल | Kavita Taaron ki Mehfil
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