यह मुझको स्वीकार नहीं | Kavita Yah Mujhko

यह मुझको स्वीकार नहीं ( Yah mujhko swikar nahin )   निज पथ से विचलित हो जाऊं यह   मुझको   स्वीकार    नहीं पहन   बेड़ियां   पग  में  अपने झुकने     को     तैयार    नहीं। देख   नीर  बहती  आंखों  में क्रोध   शीर्ष   चढ़  जाता   है आंख  मूंद   कैसे  सह  जाऊं सहन   नहीं    हो   पाता  है। लुटे   अस्मिता   ठीक   सामने क्या   … Continue reading यह मुझको स्वीकार नहीं | Kavita Yah Mujhko