उठ रही ख़ुशबू फ़ूलों से ख़ूब है | Ghazal

उठ रही ख़ुशबू फ़ूलों से ख़ूब है ( Uth rahi khushboo phoolon se khoob hai )   उठ रही ख़ुशबू फ़ूलों से ख़ूब है बस रहा कोई सांसों में ख़ूब है   देखते  है कर लिए उसपे यकीं धोखा उसके हर वादों में ख़ूब है   किस तरह मिलनें उसी से मैं जाऊं हाँ लगा … Continue reading उठ रही ख़ुशबू फ़ूलों से ख़ूब है | Ghazal