ख्वाबों में आ बहकाते हो | Khwab Shayari

ख्वाबों में आ बहकाते हो ( Khwabon mein Aa Bahakate Ho ) ख्वाबों में आ बहकाते हो फुसलाते हो।मीठी नींद से बेरहमी से उठा जाते हो। भूलना चाहा मैंने जिस ग़ज़ल कोख्यालों में आ उसे गुनगुनाते हो । जो जाते कहां लौट कर आते हैं।याद में उनकी क्यों अश्क बहाते हो। पड़ता नहीं फर्क उन्हें … Continue reading ख्वाबों में आ बहकाते हो | Khwab Shayari