समझदारी | Laghu Katha Samajhdari
आज फिर राजीव और सुमन के कमरे से एक दूसरे पर चीखने-चिल्लाने की आवाजें से आ रही थी। सप्ताह में एक बार तो यह होता ही था। दो दिन बाद फिर से वे एक हो जाते थे। मुझे इसकी आदत थी। मैं दोनों मियां-बीबी के बीच में बोलना उचित नहीं समझती थी। आज भी मैंने … Continue reading समझदारी | Laghu Katha Samajhdari
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