चकई की वापसी | ललित

होली अंक के लिए रचनाएं मंगा कर जगह नहीं देना भी एक होली है। किसी के लिए उत्साह की होली तो किसी के लिए धुआं- धुआं कर जलने की होली। चिंता नहीं बस फिक्र कीजिए ना जनाब, चिंता कीजिएगा तो सूख कर लकड़ी हो जाइएगा, कोई काम नहीं आएगा।क्योंकि यहांँ मुँह देख कर गुलाल लगाया … Continue reading चकई की वापसी | ललित