माँ | Maa Ke Upar Kavita

माँ ( Maa )   खिली धूप से चमक रहे थे उसके बाल अनुभव की सिकुड़न रहती उसके माथे पर कड़वा तीखा बोलने की ताकत उसके लब पर मुस्कुरा कर फिर आ जाती तेरे एक बुलाने पर रिश्तो के ताने-बाने में उलझी रहती जीवन भर तरतीब से रखा हुआ सामान उसके होने का एहसास कराता … Continue reading माँ | Maa Ke Upar Kavita