कहते है मुझको मच्छर | Machhar par kavita

कहते है मुझको मच्छर ( Kehte hain mujhko machhar )   कहते है मुझको यहां सभी लोग मच्छर, में इंसानों का ख़ून पीता हूं घूम-घूमकर। घूमता रहता हूं में दिन रात और दोपहर, भूख मिटाता हूं में उनका ख़ून-चूसकर।। पुरुष अथवा महिला बच्चें चाहें वो वृद्ध, पीता हूं में रक्त इनका समझकर शहद। चीटी-समान हूं … Continue reading कहते है मुझको मच्छर | Machhar par kavita