मधुमय रस लहरा दे | Madhumay Ras Lahra de

मधुमय रस लहरा दे ( Madhumay Ras Lahra de )   नव-लय-छंद अलंकृत जननी मधुमय रस लहरा दे। वेद रिचाओं के आखर से रचना कर्म करा दे।। शब्द अर्थ का बोध नहीं है ना भावों की गहराई। बुद्धि विवेक जगाकर उरमें ललित कला लहराई।। दूर क्षितिज के रम्यछटा से अंधकार बिलगानी । कलम पकड़ कर … Continue reading मधुमय रस लहरा दे | Madhumay Ras Lahra de