मधुर-मधुर मेरे दीपक जल नभ,जल और धरित्री का, अंधियारा छट जाएसदैव ऐसे मधुर-मधुर मेरे दीपक जल । पुनि स्नेहिल गंगा पर्वत शिलाओं से निकल जाए,सदैव ऐसे मधुर-मधुर मेरे दीपक जल । कभी भटकाव ना किसी की जिन्दगी में आए,सदैव ऐसे मधुर-मधुर मेरे दीपक जल । सत्य-न्याय की हवा, जल,थल,नभ में फैल जाए,सदैव ऐसे मधुर-मधुर मेरे … Continue reading मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
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