महेन्द्र सिंह प्रखर के मुक्तक | Mahendra Singh Prakhar ke Muktak
( 13 ) माँ के हाथों का खाना कब कच्चा लगता है । साठ साल का बेटा उसको बच्चा लगता है । कोई कितना भी प्रेम करे जग में मुझसे – बस माँ का ही प्यार जगत में सच्चा लगता है ।। ( 12 ) हमें तो बोलना भी माँ सिखाती है सुनों हिंदी । … Continue reading महेन्द्र सिंह प्रखर के मुक्तक | Mahendra Singh Prakhar ke Muktak
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