महकेगा आंगन | Mahkega Aangan

महकेगा आंगन! ( Mahkega aangan )    निगाहों में मेरे वो छाने लगे हैं, मुझे रातभर वो जगाने लगे हैं। दबे पांव आते हैं घर में मेरे वो , मुझे धूप से अब बचाने लगे हैं। जायका बढ़ा अदाओं का मेरे, होंठों पे उँगली फिराने लगे हैं। तन्हाई में डस रही थीं जो रातें, रातें … Continue reading महकेगा आंगन | Mahkega Aangan