मैं चाहता हूं

मैं चाहता हूं   मैं चाहता हूं तुम्हारे हृदय में दो इंच ज़मीन जहाँ तुम रख सको मुझे विरासत की तरह सम्भाल कर पीढ़ियों तक बिना गवाएँ एक इंच भी……. बस तुम इतना कर लेना ज़मीन की तरह मुझ में बोते रहना अपने प्रेम का अंकुर और देखते रहना अपलक बढ़ते हुए……!!   ? कवि : सन्दीप … Continue reading मैं चाहता हूं