मैं हूँ दीपक एक बदनाम सा जलता सदा तम से जंग के लियेरात बढ़ती रही बात गढ़ती रहीजिंदगानी कटी रोशनी के लिएइस कदर यूँ ना हमसे नफरत करोहम भी परछाई है इस वतन के लिएसत्य की परख असत्य की हर खनकजलाती बुझाती रही नई रोशनी के लिएअज्ञानी हूँ सोचता समझता भी नहीदिल मचलता सदा अंतिमजन … Continue reading मैं हूँ दीपक एक बदनाम सा
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