मैं लिखता रहा अश्क धोते रहे

मैं लिखता रहा अश्क धोते रहे मैं लिखता रहा अश्क धोते रहे।सफे किस्मत के खुद पे रोते रहे। हम सुनाते रहे दास्तां दिल की अपनी।रात सारी सिर कंधे पे रख वो सोते रहे। उन्हें लगता था हम जिंदा है पर थे नहीं।अपनी ही लाश हम कंधों पर ढोते रहे। गंवाया नहीं आंखों से निकला अश्क।उठा … Continue reading मैं लिखता रहा अश्क धोते रहे