डॉ. बीना सिंह “रागी” की कविताएं | Dr. Beena  Singh Raggi Poetry

फौजी बलम प्रीत का घट लिए बाट निहारे गांव में गोरीआए नाहीं फौजी बलमा कैसे मैं खेलूं होरीप्रेम तरंग मन उठे उमंग तन है लेवें अंगड़ाईसौगंध इन चरणों की बनु मैं तोरी परछाईआम्र मंजरी बौर बौराई फागुन बयार बहे पुरवइयांमहुआ पककर गदराई बिरहा तान छेड़े है कोयलियांनित प्रतीक्षा में भरे भरे हैं मोरे दौ नयनसजना … Continue reading डॉ. बीना सिंह “रागी” की कविताएं | Dr. Beena  Singh Raggi Poetry