मेरा और उसका गुमान वो अपने को सरेख समझ, मुझे पागल समझती रही, अब देख मेरी समझ, उसके तजुर्बे बदल गए, अब मुझे ज्ञानी समझ , अपने को अज्ञानी समझ रही। कुछ शब्द बोल माइक पर, अपने को वक्ता समझती रही, अब मंचों पर देख शब्दों का सिलसिला मेरा, … Continue reading मेरा और उसका गुमान
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