मन बसी झुंझलाहट

मन बसी झुंझलाहट मेरे दुःख दर्द का तुज पर हो ऐसा असर ,कि आईना तुम देखो और चहरा मेरा दिखे l सबसे ज्यादा दर्द तो तब हुवा ,जब तुम्हे देखे बिना लौट आया l इतना दर्द देकर भी मन को भाती हो ,अगर हमदर्द होती तो क्या आलम हो l क्या कहूँ ,एक ही हमदर्द … Continue reading मन बसी झुंझलाहट