मंदाकिनी बहने लगे तार वीणा के छिड़े तो , बस एक स्वर कहने लगे ।छेड़ ऐसी रागिनी दो , मंदाकिनी बहने लगे । गूँजती हैं फिर निरंतर , वेद मंत्रों की ऋचाएं ।अग्नि कुंडों में कहाँ तक, प्यार की समिधा जलाएं ।हम अमा की पालकी में , पूर्णिमा कितनी बिठाएं ।क्यों अकेले ही विरह की … Continue reading मंदाकिनी बहने लगे
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