मस्तियों में जी मैंने

मस्तियों में जी मैंने शराबे – शौक़ निगाहों से उसकी पी मैंनेतमाम उम्र बड़ी मस्तियों में जी मैंने हज़ारों किस्म की चीज़ों से घर सजाया थातुम्हारे शौक़ में रख्खी नहीं कमी मैंने जुनून ऐसा चढ़ा था किसी को पाने कालगाई दाँव पे हर बार ज़िन्दगी मैंने हज़ारों ग़म थे खड़े ज़िन्दगी की गलियों मेंहरेक मोड़ … Continue reading मस्तियों में जी मैंने