मेरी कलम ( Meri Kalam ) मेरी कलम मेरा साथ बखूबी निभाती है तन्हाई में भी आकर गले लगाती है कड़कती धूप में परछाई बन जाती है ठंड मे मखमल की चादर कहलाती है मैं रूठ जाऊँ अगर तो प्यार से मनाती है सजदे करूं तो दुआएं मेरी भी कहती है गलती पर टोकती … Continue reading मेरी कलम | Meri Kalam
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