मिलता किसी भी मोड़ पे क्यों राहबर नहीं | Milta Kisi bhi Mode pe

मिलता किसी भी मोड़ पे क्यों राहबर नहीं ( Milta kisi bhi mod pe kyon rehbar nahin )   मिलता किसी भी मोड़ पे क्यों राहबर नहीं इस शहरे-कामयाब की आसां डगर नहीं हर इक सफ़र में होता था जो हमसफ़र कभी वो भी तो आस-पास में आता नज़र नहीं। माना कि मुद्दतें हुईं बिछड़े … Continue reading मिलता किसी भी मोड़ पे क्यों राहबर नहीं | Milta Kisi bhi Mode pe