मोह | Moh chhand

मोह ( Moh ) मनहरण घनाक्षरी   मोह माया के जाल में, फंस जाता रे इंसान। लोभ मोह तज जरा, जीवन संवारिये।   कोई पुत्र मोह करें, कोई दौलत का लोभ। लालच के अंधे बने, पट्टिका उतारिए।   ना बांधो मोहपाश में, करना है शुभ काज। सद्भावों के फूल खिला, चमन खिलाइए।   ना काया … Continue reading मोह | Moh chhand