मुह़ब्बत के वादे निभाने की रुत है

मुह़ब्बत के वादे निभाने की रुत है मुह़ब्बत के वादे निभाने की रुत है।यही तो नशेमन सजाने की रुत है। ख़िज़ाएं बहारों में ढलने लगी हैं।फ़िज़ाएं भी करवट बदलने लगी हैं।न यूं दूर जाओ निगाहें चुरा कर।यही तो निगाहें मिलाने रुत है।मुह़ब्बत के वादे निभाने की रुत है। गुलाबों का शाख़ों पे हिलना तो देखो।ये … Continue reading मुह़ब्बत के वादे निभाने की रुत है