मुझे गहराई का चस्का लगा था

मुझे गहराई का चस्का लगा था मुझे गहराई का चस्का लगा थातभी इक झील में डूबा हुआ था हक़ीक़त का मज़ा अपना मज़ा हैमुहब्बत का नशा अपना नशा था हुई जब गुफ़्तुगू ऐसे खुला वोकोई मोती जो सीपी में छिपा था तुम्हारा दिल महक कैसे रहा हैतुम्हारा दिल तो पत्थर का सुना था बता देता … Continue reading मुझे गहराई का चस्का लगा था