नागपाश में गरुण | Nagpash

नागपाश में गरुण ( Nagpash me Garun )   आचार भंग करना, आचार्यों का आचरण हुआ। अब तो राजनीति का भी अपराधीकरण हुआ। वन-वन भटकें राम, प्रत्यंचा टूटी है। सीता की अस्मिता, रावणों ने लूटी है। क्षत विक्षत है, सारा तन लक्ष्मण का, बंधक रख दी गई, संजीवनि बूटी है। नागपाश में गरुण अब विषैला … Continue reading नागपाश में गरुण | Nagpash