हां नारी हूं मैं ( Haan naari hoon main ) पग पग संभल रही , कहा किसी परिस्थिति से हारी हूं मैं निकाल लेती मार्ग खुद अपना हां नारी हूं मैं । मन विचलित होता तो , मोन हो सफर करती तय मैं अपना कहा जिमेदारि से किसी हारी हूं हां नारी हूं मैं! … Continue reading हां नारी हूं मैं | Nari Poem
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