नशा ( Nasha ) नशा मुक्ति दिवस पर एक कविता अच्छों अच्छों को नशा कितना बिगाड़ देता हैl बसी बसाई गृहस्ती को मिनटों में उजाड़ देता हैl बच्चे का निवाला छीन बोतल में उड़ा देता हैl दूरव्यसन के आदि को हिंसक बना देता हैl बिकने लगता है मकान सड़क पर ला देता हैl आदि … Continue reading नशा | Nasha
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