Neend par Kavita | नींद नहीं आसां

नींद नहीं आसां ( Neend Nahi Aasan ) चीज नई नहीं है, सहज भी नहीं है। बमुश्किल आती है, मेहनतकशों को लुभाती है। आरामतलबों को रूलाती है, बमुश्किल उन्हें आती है; अनिद्रा रोगी बनाती है। खाते औषधि दिन रात, फिर भी बनती नहीं बात। बद से बदतर जब होते हालात- तो निकलते सुबह सैर पर, … Continue reading Neend par Kavita | नींद नहीं आसां