पारा हुआ पचास | Para Hua Pachas

पारा हुआ पचास ( Para Hua Pachas )   वृक्ष बड़े अनमोल हैं, ये धरती- श्रृंगार। जीव जन्तु का आसरा, जीवन का आधार।। वृक्ष,फूल,पौधे सभी, जीवन का आधार। इनसे धरा सजाइये, करिये प्यार दुलार।। नदिया, झरने, ताल सब, रोज रहे हैं सूख। पर मानव की है कहाँ, मिटी अभी तक भूख।। है गुण का भंडार … Continue reading पारा हुआ पचास | Para Hua Pachas