आहिस्ता ही सही कह जज़्बात | Poem Aahista hi Sahi
आहिस्ता ही सही कह जज़्बात ( Aahista hi sahi kah jazbaat ) आहिस्ता ही सही कह दो खोलो मन की गठरी। भाव भरा गुलदस्ता दास्तानें दिल की वो पूरी। लबों तक आने दो दिल के सागर की वो लहरें। छेड़ो प्रीत के तराने प्यारे होठों से हटा दो पहरे। नयनों से झांककर देखो जरा दिल … Continue reading आहिस्ता ही सही कह जज़्बात | Poem Aahista hi Sahi
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