अभिमान ( Abhimaan ) किस बात का गुरूर है क्यों है मगरूर तू क्या तूने कर दिया क्यों है नशे में चूर तू गर्व ही करना तो कर ले वतन की शान पे बोल मीठे बोल प्यारे धरती पर इंसान से होकर नशे में चूर तू मत करना अभिमान चंद सांसों का … Continue reading अभिमान | Poem abhimaan
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed