अपनी छवि निहार | Poem apni chabi nihar
अपनी छवि निहार ( Apni chabi nihar ) अपनी छवि निहार , सुध भूद खोई बैठी नयन राह देखे मेरे , सखियों से दूरी होई।। दिनभर चली पवन , पर कम न हुई तपन , पानी से भीगा तन, फिर भी प्यासा ये मन ।। अटखेलियां करती में, तुम बिन नीरस होई, फिर से … Continue reading अपनी छवि निहार | Poem apni chabi nihar
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