फुरसत मिली | Poem fursat mili

फुरसत मिली ( Fursat mili )   फुरसत मिली, पढ़ लूं तहरीरें लिखी जो पानियों ने पानी पर सुना है जनमों से सब्र लिये बहता है कोई आबशार किसी के लिये कहीं पर बरसता अब्र, गीली ज़मीं, पर प्यास लिये मेरा मन, पानी, पानी बहता दरिया शायद मेरे लिये यहीं पर…. उफ़ुक उधर भी था, … Continue reading फुरसत मिली | Poem fursat mili