घर की इज्जत | Poem Ghar ki Izzat

घर की इज्जत ( Ghar ki Izzat )   यश कीर्ति किरदार बने हम घर खुशहाली मची रहे। प्यार और सद्भावो से खुशियों की घड़ियां जची रहे। घर की इज्जत बची रहे मान और सम्मान वैभव पुरखों की धरोहर है पावन। मिले बड़ों का साया सदा आशीष बरसता रहे सावन। रिश्तो में मधुरता घोले घर … Continue reading घर की इज्जत | Poem Ghar ki Izzat