हसद | ईर्ष्या

हसद ( Hasad )   हज़ारों रत्न उसके तकिये के नीचे हैं, मगर मेरे इक पत्थर पर वो मरता है, उसकी इक नज़र तरसते हैं रत्न उसके, उन्हें भूलके मेरे अदना पत्थर पे निगाह रखता है, यही आज इस दुनिया का चलन हो गया, जलन/हसद से भरा सारा ज़हन हो गया, दुनिया की सारी नेमतें … Continue reading हसद | ईर्ष्या